

कोरबा।ऐसा लगता है कि कोरबा और कोबरा का चोली दामन का साथ हो गया है। आए दिन किसी ना किसी इलाके में विशालकाय आकार वाले कोबरा देखने को मिल रहे हैं। गजब तो तब हो गया जब पसरखेत गाव में लोगों के दबाव के कारण एक कोबरा ऊंचे पेड़ पर जा चढ़ा। काफी मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू किया जाना संभव हुआ।

हालांकि कोरबा के नामकरण के पीछे मान्यताएं कुछ अलग है। कहा जाता है कि वर्षों पहले संरक्षित जनजाति कि ज्यादा उपस्थिति के कारण इस क्षेत्र का नाम कोरबा पड़ गया। लेकिन अब परिस्थितियां दूसरी हो गई हैं। वन मंडल कोरबा के फसलखेत और दूसरे क्षेत्रों में कोबरा सर्प के लगातार मिलने से ऐसा लग रहा है कि यह इसी प्रजाति का लोक है। पसरखेत में एक आबादी वाले जगह पर कोबरा के प्रवेश करने पर लोग हरकत में आए जिन्हें देखकर यह सब पेड़ पर जा चढ़ा।
ग्रामीणों के द्वारा इस बारे में आगे जानकारी दिए जाने पर वन विभाग के कर्मियों के साथ रेस्क्यू टीम इस गांव में पहुंचे और काफी मशक्कत के साथ पेड़ पर चढ़े कोबरा को रेस्क्यू किया। बाद में उसे जंगल में छोड़ दिया गया।
जितेंद्र ने बताया कि वन मंडल पूर्वा में अनुकूल वातावरण होने के कारण कोबरा प्रजाति के सर्पों की उपस्थिति बनी हुई है। इकोसिस्टम की मजबूती के लिए इनके संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि मध्य भारत में कोबरा सर्प की मौजूदगी का कोरबा में होना अपने आप में खास माना जा रहा है। इन सभी कारणों से आने वाले वर्षों में वन्यजीव प्राधिकरण स्थानीय स्तर पर बड़ा प्रोजेक्ट शुरू कर सकता है।